السبت، 29 سبتمبر 2018

सच होते सपने, " प्रधानमंत्री आवास से "

सच होते सपने, " प्रधानमंत्री आवास से "
सच होते सपने, " प्रधानमंत्री आवास से "

एक गीत है " ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना हो गर तो पहले आ के मांग ले !" घर को लेकर गीतकरो ने कई गीत लिखें।  नेताओं ने बहुत सपने दिखाए, फिल्म निर्देशक ने "नायक" फिल्म  में झुग्गी-झोपडी के लोगो को एक दिन के मुख्यमंत्री काल में घर दिलावा दिए। सपनों का यह कार्य कभी गरीबों के जीवन में हकीकत बन कर सामने आएगा, ऐसा लगता नहीं था। 2014 चुनावों के पश्चात देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  जो योजनाएं भारत भूमि पर हकीकत की दुनिया में उतरी, उसमें "प्रधानमंत्री आवास योजना" की अहम् भूमिका हैं। झुग्गियों में रहकर जीवन यापन कर रहे लोगो को पक्की छत मिली और ' वो तमाम सुविधाएँ जो सामान्य मानवीय जीवन के लिए परम आवश्यक हैं ' जुटाना प्रारम्भ का दी। धीरे-धीरे चले मकान निर्माण की यह शृंखला अब बड़े स्वरूप में हमारे सामने आ रही हैं। किसी भी शहर का समग्र विकास न हो तो बड़ा शहर भी अपनी झुग्गियों को देखकर रोता  नज़र आता हैं। अब शहरों की झुग्गियों का वातावरण पूर्व स्वरुप में न भी बदला हो मगर ग्रामीण क्षेत्रों में पंच-सरपंचों के माध्यम से कच्चे मकानों में बदलाव नज़र आने लगा हैं। 


राजनीति भी तेज़ हो गई हैं 

प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्मित घरों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के चित्रों वाली टाइल्स को दीवालों पर लगाया जा रहा है। इससे उस घर में आवास करने वाले तो गौरव का अनुभव कर रहे है, मगर विरोधियों को उन चित्रों से कष्ट का अनुभव हो रहा हैं। सोशल मीडिया पर कांग्रेस के मित्रों द्वारा इस बाबत टिप्पणियां आने लगी है। वर्षों से यह देश नेहरू, इंदिरा, राजीव के चित्र एवं नामों से उल्लेखित योजनाओं को सहजता से स्वीकार कर रहा है, परन्तु पहली बार पक्के आवासीय मकान बनाकर लोगो के जीवन को खुशहाल और संजीदा बनाने वाले प्रधानमंत्री के चित्र से विपक्ष दुखी हैं। ये देश सन 1975 से "गरीबी हटाओ !" का नारा झेल रहा है। न गरीबी हटी, न गरीब के हालात बदले ! अब जब शासन की विभिन्न योजनाएं सीधे गरीब के बैंक अकाउंट, रसोई में गैस, सर पर छत एवं उत्तम स्वास्थ, शिक्षा  जैसी योजनाओं के साथ बदलाव दिखा रही है, तो विपक्षी आगामी 2019 में भी मोदी के विकल्प के रूप में स्वयं को स्थापित नहीं का पा रहे है। 



स्वच्छता अभियान की भी भूमिका अहम् 

प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ आम नागरिक के जीवन में बदलाव लेन में स्वच्छता अभियान की भूमिका भी महत्वपूर्ण हैं। झुग्गी-झोपड़ियों और गावों में पक्के मकान निर्माण के साथ-साथ शौचालय का भी निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया। स्वच्छता के क्षेत्र में शौचालय निर्माण से भी दूषित वातावरण में कमी आई हैं, सरकारी प्रयासों के साथ-साथ दैनदिन जीवन में जनभागीदारी एवं समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली सामाजिक संस्थाएं भी आगे आई हैं। इन सबके सकल प्रयासों से हम एक उत्तम राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर हो पा रहे हैं। 

मानसिकता में बदलाव 

मनुष्य के जीवन जीने की पद्धति में विकास होता है, तो उसकी समग्र सोच भी परिवर्तित होने लगती है। मानसिकता यदि उच्च दिशा की और कार्य करती है, तो व्यक्ति विकासशील हो जाता हैं। सरकारी प्रयास भी उस दिशा में काम करते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना से सिर्फ आवास का बदलाव नहीं सम्पूर्ण मानसिकता का बदलाव किया है। जब व्यक्ति झोपडी से निकलकर पक्के मकान की ओर जाता है, तो वह स्वयं भी विकास के मार्ग की ओर जाने का प्रयास करने लगता हैं। 

"अच्छे दिन आएंगे" जुमला नहीं 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2014 चुनावों के पूर्व अच्छे दिन आने का नारा दिया था, अब जब हज़ारों मकान बनकर तैयार हैं। आम नागरिकों के मन में पक्के मकान में रहने का सुख अर्जित हो रहा हैं। उज्ज्वला योजना से घरों में गैस कनेक्शन मिल रहे हैं।  बिजली, पानी, सड़क की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई हैं। शौचालयों के निर्माण एवं स्वच्छता से से स्वास्थ पर उत्तम प्रभाव पड़ा हैं। प्रधानमंत्री जन औषधि के माध्यम से कम मूल्य पर दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। केंद्र सरकार घोटालों की सरकार न होकर काम करने वाली ईमानदार सरकार हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से पाकिस्तान को उसके घर में मारने की हिम्मत सरकार जूता पाई हैं, तो क्या यह अच्छे दिन नहीं ? काम अधूरे है, मगर पुरे होंगे !

सपनो की राह बड़ी होती हैं 

मनुष्य के सपनों की राह बड़ी होती है, जेब भले छोटी हो, चाह बड़ी होती है ! "हाथ से हाथ मिलाकर चल बन्दे हकीकत की राह बड़ी होती है"। 70 साल तक कार्य करने वाली सरकारों ने देश के विकास के लिए कुछ नहीं किया, यह कहना कदापि ठीक नहीं ! जो भी प्रधानमंत्री बने सपने देश के विकास की राह ही चुनी मगर आम व्यक्ति के जीवन में सरकार के निर्णयों का प्रभाव नज़र आये, यह अब सामने आने लगा है ! पहले भी हमने अटल जी को मात्र पाँच साल देकर सत्ता से बहार कर दिया, मुझे लगता है अब ऐसा नहीं होगा ! एक बार पुनः यह सरकार आएगी और 2022 तक जो कार्य पूर्ण करने का स्वनिर्माण प्रधानमंत्री जी ने लिया है, उसें पूर्ण करेगी। 


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खली हुई आँखों से हमने 
सपना सच होते देखा है !

राह कठिन बड़ी थी फिर भी 
मंजिल को छूते देखा हैं !!

आगे दौर कठिन आएगा 
जात-पात पर लड़वाएंगे !

हमकों नहीं भ्रमित होना अब 
मंजिल को पाते रहना है !!

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पढ़ते रहे प्रवीण भाई की कलम से 


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