الخميس، 6 سبتمبر 2018

बंद हुआ कामयाब, लूट गई अर्थव्यवस्था

bharat band
बंद हुआ कामयाब, लूट गई अर्थव्यवस्था !

सुने हैं बाज़ार और लूट गई "अर्थव्यवस्था "
जात-पात की हुई लड़ाई और बिक गई "अर्थव्यवस्था"

उदास चेहरे, खाली गल्ले और चौक है सुने 
नेताओं की सुधर जाएगी इससे "अर्थव्यवस्था"

हिन्दू हित से बदल गई है देश में सारे "रास्ते" 
लूट-पाट में व्यस्त जो थे भटक गए है "रास्ते"

सुना मन है कुर्सी बिन नहीं जैम रही उनकी "व्यवस्था"
देश को बाँट सुख मिल जाये चल रही यही "व्यवस्था"

जो लड़ते दलित लड़ाई कोने में बैठे हैं 
सत्ता के चाबी न होने से हो गई खूब "हसाई"

समझ न आया कैसे बांटे और कैसे "लूटेंगे"
अध्यादेश का मौका मिलता है कोई नहीं "छूटेंगे"

चलना हमको अभी समझ कर और सुध रखना है 
भाई-भाई से हाथ मिलाकर ही हमको चलना है 

هناك 3 تعليقات:

  1. एक दिन के बंद से देश की अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है

    ردحذف
  2. बिलकुल सही बात कही है

    ردحذف

amazon

नादान बने क्यों बेफिक्र हो ?

नादान बने क्यों बेफिक्र हो ? नादान बने क्यों बेफिक्र हो,  दुनिया जहान से !   हे सिर पे बोझ भी तुम्हारे,  हर लिहाज़ से !!  विनम्रत...