क्या "तिलक" के स्वप्न को साकार करेंगे ? |
"तिलक" के स्वप्न को पूर्ण,
कर पाएंगे क्या आज भी !
समरसता के दिव्या मंत्र,
सीखा सके यदि आज भी !!
स्वराज्य प्राप्ति का नारा देकर,
धर्म सह राष्ट्र धर्म साध लिया !
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
सब ने देश का काम किया !!
"गणेशोत्सव" के माध्यम से हम,
दुश्मन से लड़ पाए थे !
सभी धर्मों से तब भी,
गणपति पुजवायें थे !!
प्रजातंत्र के संस्कारो की,
तिलक ने राह दिखाई थी !
स्वराज्य के अधिकार की,
एक आवाज़ लगाई थी !!
उत्साह हममें आज भी है,
उत्सव को मनवाने की !
संस्कारों को याद रहें सब,
राष्ट्र धर्म संग जाने की !!
जय श्री गणेश
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