बुधवार, 29 अगस्त 2018

बच्चों को गोद लेने को बढ़ावा मिला !

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बच्चों को गोद लेने को बढ़ावा मिला !
इन दिनों बच्चों को गोद लेने का चलन समाज में गति पकड़ रहा है। प्रगतिशील भारत अब व्यवहारशील एवं भावनाशील क्षेत्र में एकलजीवन जी रहे माता-पिता को अपने विभिन्न विभागों एवं एन.जी.ओ के माध्यम में सहयोग प्रदान कर रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग एवं जिलाधीश एवं जिला पुलिस अधीक्षक की भूमिकाएं सक्रिय हो सकती है।

निःसंतान दम्पत्तियों के लिए अवसर :- समाज में एक और एन.एस.व्ही, टेस्ट ट्यूब बेबी एवं उन्नत तकनीक के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान की ओर अग्रसर हो रही है, वहीं समाज में गोद लेने एवं सुविधाजनक गोपनीय एवं व्यवस्थित Adoption के क्षेत्र में भी दम्पत्तियों की रूचि बढ़ रही है। नवजात शिशुओं का त्याग, अवांछित गर्भ, एवं अवैध संतान समाज में विकत परिस्थितियों में जीवन यापन करें, उसकी अपेक्षा उसे समाज में माता-पिता के साथ न्यायपूर्ण एवं सम्मानित जीवन जीने को मिलता है। जो समाज के लिए एक उन्नत एवं प्रगतिशील कदम है।
sushmita sen with her daughters

yash johar son of karan johar, karan johar with his son yash johar
लक्ष्य मिलता है जीवन को :- बॉलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन के लड़की को गोद लेने से एक नई परम्परा प्रारम्भ की, जिसे आगे बढ़ाकर फिल्म निर्माता/निर्देशक करण जौहर एवं अन्य व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बन रही है। अब आम नागरिक भी इस दिशा की ओर अपनी सोच आगे बढ़ा रहे है। समृद्ध,विकसित एवं उच्च शिक्षित समाज में सरकारी नौकरियां हो या उच्च स्तरीय व्यवसाय व्यक्ति धन की प्रचुरता होने के पश्चात भी जीवन में अभाव एवं तनावग्रस्त जीवन यापन करता है। एकाकीपन से कभी-कभी लक्ष्य विहीन जीवन अवसाद की स्थिति भी ले आता है। समय पर उचित निर्णय लेने से मनुष्य जीवन तनाव मुक्त होकर सबके साथ सुखी जीवन यापन करने की सोच भी नहीं पाता ! ऐसे में उसे अपने जीवन के बारे में यह सोचना चाहिए। 
cute baby child with his parents
Social change about child adoption
समय एवं समाज में बदलाव :- एक समय था, जब निःसंतान नारियों को बाँझ की उपमा देकर उनका अपमान किया जाता था और उनके निःसंतान होने को उनका व्यक्तिगत दोष मानकर घर-परिवार में प्रताड़ित किया जाता था। इस रोग का दोष इस पुरुष प्रधान समाज में सदैव नारियों को दिया, जोकि एकदम दिशा के विपरीत है।
girl child
बेटी बचाओ! बेटी पढ़ाओ !!
बेटियों को गोद लेना भी उत्साह है :- समाज में सबसे बड़ा एवं सकारात्मक बदलाव यह है की खानदान का नाम, परिवार की पीढ़ियों का भविष्य यह बातों को छोड़कर अब बेटियों को गोद लेने का भी उत्साह लोगो में बढ़ा है। समय पर इस चलन को समाज सहर्ष स्वीकार करे एवं हाथों-हाथ लें। 
childhood with parants

हर घर में  गूंजे किलकारी,
नहीं रहे अब कोई अनाथ !
हर बच्चे को पालक मिले,
तो बाद जाये सबका सम्मान !
माँ को मिले बच्चे का प्यार,
मिले बच्चों को ममता का उपहार !
पिता की छाया मिले और,
मिले घर का संसार !



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