गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

नादान बने क्यों बेफिक्र हो ?

नादान बने क्यों बेफिक्र हो ?

नादान बने क्यों बेफिक्र हो, दुनिया जहान से !  
हे सिर पे बोझ भी तुम्हारे, हर लिहाज़ से !! 

विनम्रता नहीं आती तो, समय पर ही सीख लो !
कुदरत की सीख बड़ी होती हैं, समय के लिहाज़ से !!

रुकते नहीं है क्षण, चाहे सुख के हो या दुःख के !
हर काम बड़ा होता हैं, वक्त के लिहाज़ से !!

तुम क़द्र करोगे किसी की, तो तुम्हारी भी बढ़ेगी !
इंसानियत जरुरी होती हैं, क़द्र के लिहाज़ से !!

ये रिश्ते बड़े नाजुक है, यूँही टूट जायेंगे !
व्यवहार बड़ी चीज है,  रिश्तो के लिहाज से !!

गम साथी है हमारा, मौत तक साथ निभाएगा !
रिश्तो का दर्द ही है, जो जीवन दिलाएगा !!

खुशियां नहीं बिकती, किसी भी बाजार में !
ढूंढो उन्हें अपने ही, जीवन के सार में !!

मिलता हैं सबको रब से, बराबर का सब सामान !
तभी गम की जमीं पर है, खुशियों का आसमान !!

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