depression |
घर परिवार से बहार निकलकर भी देखें तो चुनौतियां और जीवन के उतर-चढ़ाव कहीं भी हमारा पीछा नहीं छोड़ते। ऐसे में जब वर्तमान का कालखंड अर्थयुग भी कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस अर्थयुग में कोई क्षण ऐसा आता है जबकि आप अपने कार्य में असफल होने लगते है,तब कई बातें आप स्वयं से पूछने लगते है जैसे :-
- मैं क्यों असफल हो रहा हूँ ?
- मेरी कार्यक्षमता में क्या कमी है ?
- दूसरों की तुलना में मेरी योग्यता समाज और बाजार क्यों कम आंक रहा है ?
- मैं अपने कार्य में क्या सुधार करूँ जिससे पुनः समय की दौड़ में शामिल हो जाऊँ ?
"मैं हार का नहीं जीत का साथ धरूँ !
मैं कभी नहीं हार को स्वीकार करूँ !!
हार और जीत दो सीढ़ियां है, जीवन की !
क्यों न मैं दोनों को हँसते-हँसते पार करूँ !!"
मित्र जीवन की पूंजी है मगर हिम्मत जीवन की कीमत ! यदि हम पूँजी हासिल करेंगे तो हिम्मत यानी कीमत भी मिल जाएगी और यदि हम मित्र नहीं जुटा पाये तो हर क्षण प्रति क्षण एकांत हमें घेरने लगेगा समाज से जुड़ना और नहीं जुड़ना बहुत सामान्य प्रक्रिया है परन्तु दोनों के परिणाम सामान्य नहीं है। समाज में सफल को स्वीकार्यता तो मिलती है परन्तु उसको विरोधो का भी सामना करना पड़ता है और असफल व्यक्ति तो स्वयं ही स्वयं का विरोधी हो जाता है और जब हम स्वयं के विरोधी होंगे तो हमारी हिम्मत एवं समाज में सबके साथ मिलकर कार्य करने की स्वीकार्यता ही हमारी पूंजी होगी।
हम एकाकी होकर जीवन जीयें भी क्यों ?
हमारे जीवन की चिंता क्या हमारा एकाकीपन दूर कर देगा कदापि नहीं ! ऐसे में हम यह सोचे की यदि समाज हमारी असफलताओं पर टिप्पणी कर रहा है तो क्या समाज में सफल व्यक्ति को शत प्रतिशत लोग स्वीकार कर रहे हैं। जवाब आपको अपने आप मिल जायेगा आपकी सफलता के कई विरोधी होंगे !
मन सदा एक ही चिंतन करें !
"जीत हो या हो हार, सभी मुझे स्वीकार है !
गम हो या हो खुशियां, हर कदम पर प्यार है!!
कर दो ईश्वर इतना काम, सभी करे मुझको स्वीकार !
कभी ना हो मन में अवसाद, हर क्षण हो हिम्मत का साथ !!
हिम्मत मेरी साथी बनकर, जब जीवन में आएगी !
खुशियां और स्वाभिमान मन में भरकर जाएगी !!
"जीत हो या हो हार, सभी मुझे स्वीकार है !
गम हो या हो खुशियां, हर कदम पर प्यार है!!
कर दो ईश्वर इतना काम, सभी करे मुझको स्वीकार !
कभी ना हो मन में अवसाद, हर क्षण हो हिम्मत का साथ !!
हिम्मत मेरी साथी बनकर, जब जीवन में आएगी !
खुशियां और स्वाभिमान मन में भरकर जाएगी !!
ईश्वर ने दी है जिंदगी क्यों उसे बेहाल करें! मित्रों के साथ जियें खुशियों से मालामाल करें|
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