रविवार, 9 सितंबर 2018

क्या उनके लव मैरिज का परिणाम सही है ?

Bollywood love marriage & divorce
क्या उनके लव मैरिज का परिणाम सही है ?
समाज में विवाह नामक संस्कार सदैव प्रासंगिक रहे है और रहेंगे। समाज का कोई भी तबका इस संस्कार से वंचित नहीं रह पाता है। समाज में विवाह करना, धर्म आधारित संस्कारों के अनुसार विवाह करना, जाति के लड़के या लड़की के साथ विवाह करना हमारी जीवन पद्धति का अंग है।
                                                                                                     इन दिनों में भी संस्कारवान परिवारों के लिए यह सामान्य बात है, परन्तु भाग दौड़ भरी इस जिंदगी में जब माता और पिता दोनों पैसा कमाने अपने रोजगार में व्यस्त हो बच्चों को अपने संस्कारों के अनुरूप ढाल पाने में सफल कम ही हो पा रहे हैं। सारे घरों में ऐसा ही हो रहा हैं, यह सोचना सही नहीं है! अपने बच्चों के संस्कारों के प्रति जागरूक रहने वाले परिवारों की संख्या भी कम नहीं हैं। 

अंतरजातीय विवाह की संख्या में वृद्धि 

इन दिनों प्रेम विवाह के मसलों में अंतरजातीय विवाह की संख्या में कई गुना वृद्धि हो गई है। सामाजिक संगठनों में युवा संगठनों की सक्रियता में कमीआई है।  बच्चों का रिश्तेदारी में, सामाजिक कार्यों में आने-जाने में अरूचि एवं प्रत्येक व्यक्ति की व्यवस्था पूर्ण जिंदगी उसका बड़ा कारन है। अंतरजातीय विवाह के के दुष्परिणाम सम्पूर्ण परिवार एवं अगली दो पीढ़ियों पर पड़ते हैं, यह बात समझने में हम सफल नहीं हो पा रहे हैं। कई अंतरजातीय विवाह माता-पिता की सहमति से भी संपन्न होते हैं। उनकी कामयाबी की सम्भावना थोड़ी अधिक होती है। इन दिनों कई समाजों में लड़कियों की संख्या में कमी के कारन भी विसंगतियां उत्पन्न हो रही है, जिससे समाज अंतरजातीय विवाह की और बाद रहा है। ऐसे में प्रेम विवाह में होने वाले अंतरजातीय विवाह को भी मान्यता मिलने लगी हैं।

समाज में प्रभाव एवं पीढ़ी के सामने संकट 

दो अलग-अलग समाज के माता-पिता होने से बच्चों के सामने अपने रिश्तेदारों, संस्कारों, त्योहारों एवं अंततः किस धर्म को मान्यता प्रदान करे, यह संकट सामने आ जाता है। समाज में भी घर में आने वाली बहु के धर्म, समाज एवं संस्कार अलग होने का प्रभाव पड़ता है। 
हमारे यहाँ मुसलमान + ब्राह्मण, सिंधी + राजपूत, कायस्थ + ईसाई धर्म का एक दूसरे से वैवाहिक सम्बन्ध होने से वह समाज में मान्य हो पाना संकट का विषय हैं। कई बार प्रेम विवाह के समय जब माता या पिता इस सदमे को सहन नहीं कर पाने के कारन दम तोड़ देते है तो कई राज्यों में ओनर किलिंग जैसे मसले होकर प्रेमी जोड़ों की हत्या हो जाती हैं। 

उपाय मेरे विचार से 

मेरे अपने अनुभव से मैंने यह जाना है कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग न होकर एक ही है। प्रेम होकर स्वीकार्य विवाह सफल और स्वीकार्य विवाह पश्च्यात प्रेम हो जाए तो भी सफल ! विवाह दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि दो परिवारों का नहीं मिलान होता है। पहले कबीलाई संस्कृति में अपने ही समाज के लड़के से अपनी ही रिश्तेदारी में विवाह की परम्परा लम्बी चली आई है। प्रेमी जोड़ो को विवाह करते समय यह सोचना चाहिए की जीवन में प्रेम से भी बड़े रिश्तें और भी हैं। 


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परिवार के संस्कारों को साथ मिलाकर लायेगें !
आओ अब हम दोनों मिल नया संसार बसाएंगे !!

तेरी जाति ऊँची और मेरी जाति नीची क्यों हैं !
ऊँच-नीच के झगड़े में प्रेम मेरा गुम क्यों हैं !!

आओ मानव सिंद्धान्तो से नै रह पर जायेंगे !
प्रेम विवाह किया है फिर भी रस्में खूब निभाएंगे !!



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 पढ़ते रहे प्रवीण भाई की कलम से 

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