बुधवार, 22 अगस्त 2018

संस्कृत स्वैच्छिक नहीं अनिवार्य भाषा बने !

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भारतीय संस्कृति के उत्थान में भाषा का विशेष योगदान है। हमारी देवभाषा "संस्कृत" जिसके माध्यम से यहाँ पुरातनयुगीन संस्कृति से ऋषि-मुनियों ने विश्व गुरु के रूप में सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करने का कार्य किया। चार वेद हो या सुश्रुत एवं चरक संहिता के माध्यम से आयुर्वेद जैसे वैज्ञानिक एवं प्राकृतिक औषधि के आधार पर उत्तम स्वास्थ शिक्षा का मार्गदर्शन प्रदान किया। 
                                                                                     नासा ने गत वर्ष अपने अनुसन्धान के आधार पर "संस्कृत भाषा" को विश्व की सरलतम एवं संक्षिप्त वाक्य में प्रस्तुत करने वाली भाषा बताया। वर्त्तमान में विश्व के कई देशों के विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों ने संस्कृत को आगामी युग में कम्प्यूटर के लिए सबसे सरलतम भाषा बताया जाने के बाद अपने अनिवार्य विषयों में सम्मिलित किया है। मेरे प्रदेश मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य है की यहाँ सत्ता की चाबी अपने पास रखने के लिए प्रचिलित कोर्सेज को चलने के लिए संस्कृत की तुलना ब्यूटिशियन के कोर्स से की गई। वर्तमान में मध्यप्रदेश में संस्कृत ऐच्छिक विषय के रूप में चलाया जा रहा है। संस्कृत की उपयोगिता बड़े इसके लिए सत्ताधीशों के प्रयास मात्र अपनी मातृ संस्था को खुश करने के लिए है। हमारे देश में संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनायें जाने की चर्चा पर सबसे घनघोर विरोध तमिलनाडु के  मुख्यमंत्री करूणानिधि ने किया। "जब एक पत्रकार ने उनसे कहा की आपका तो नाम ही संस्कृत के दो शब्दों करुणा + निधि से मिलकर बना है, तो उन्होंने कहा की यह दोनों शब्द तमिल के ही है, संस्कृत ने इन्हे चुराया है। बहुरंगी संस्कृतियों वाले इस देश में प्रत्येक राज्य अपनी भाषा और बोली के प्रति निष्ठावान है, परन्तु राष्ट्र की पहचान बनाने वाली हिंदी और अन्य भाषाओं की प्रणेता देव भाषा संस्कृत के मामले में सबका मन बहुत ही छोटा है। हमें संस्कृत भाषा के विकास की अन्य देशों के संस्कृत पर कार्य को देखकर सिख लेनी चाहियें।लन्दन के st. james school में संस्कृत अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। 




संस्कृत की कुछ रोचक बातें :-
  • संस्कृत में १०२ अरब ७८ करोड़ ५० लाख शब्द है।जो दुनिया की किसी भी भाषा में सबसे अधिक है। 
  • १९८७ में अमेरिका की फ़ोर्ब्स पत्रिका के अनुसार संस्कृत computer programing के लिए सबसे अच्छी भाषा है, क्योंकि इसकी व्याकरण programing से मिलती-जुलती है। 
  • अमेरिकन हिन्दू यूनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत भाषा में बात करने वाले व्यक्ति बीपी, मधुमेह,कोलेस्ट्रॉल आदि बिमारियों से मुक्त हो जाता है, क्योंकि संस्कृत में बातें करने से मानव शरीर का तांत्रिक तंत्र सक्रीय रहता है जिससे की मनुष्य का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है। 
  • दुनिया के १७ देशों में एक या अधिक विश्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नयी प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए है, पर संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय भारत में नहीं है। 
  • संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा है। 
  • किसी और भाषा के मुकाबले सबसे अधिक शब्द होने के बावजूद संस्कृत में कम शब्द में वाक्य पूर्ण हो जाता है। 
  • नासा के पास संस्कृत में ताड़पत्रों पर लिखी ६० हज़ार पाण्डुलिपियाँ है जिन पर शोध किया जा रहा है। 


महर्षि पाणिनि को नमन 

महर्षि पाणिनि को नमन 
संस्कृत में अष्टाध्यायी ग्रन्थ का निर्माण कर संस्कृत के सूत्र देने वाले संस्कृत के आदिगुरु महर्षि पाणिनि को नमन ! ४० पन्नो में उन्होंने विश्व के समस्त देशों को भाषा का मार्ग दिखने में मदद प्रदान की। दक्षिपुत्र पाणिनि ने जिन ग्रंथों को पढ़ा उससे कई संकेतों के माध्यम से संस्कृत का विकास किया। पाणिनि ने इतिहास, भूगोल,अर्थशास्त्र, गणित एवं विज्ञान सभी विषयों का ज्ञान विकसित किया। 

हम अपेक्षा करेंगे संस्कृत विश्व में पढ़ी  जाये एवं राष्ट्र भाषा के रूप में उसे स्वीकार करें। 

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