सोमवार, 13 अगस्त 2018

समरसता सत्ता प्राप्ति का मंत्र नहीं, हिन्दू जीवन पध्दति का तंत्र बने।

आज़ादी के सत्तर वर्षों में सबसे बड़ा भाग कांग्रेस की सत्ता का रहा है। 
मुस्लिम समाज को वोट बैंक और बिखरा हुआ हिन्दू समाज कांग्रेस 
की सत्ता की चाबी बना रहा। 
                              ना मुस्लिमों का विकास हुआ ना हिन्दू संस्कृति और 
सभ्यता को बल मिला ! भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लगातार
सत्ता का केंद्र बनी कांग्रेस राम जन्म भूमि जैसे मुद्दे के उठने के पश्चात् 
आज तक सत्ता में नहीं आ पाई ! भारत में समरसता का आभाव ऊंच - नीच 
की भावना एवं आरक्षण जैसे गंभीर और चिंतनीय विषयों पर सरकारों के 
आंख मूंदने से प्रारम्भ होता हैं। 
                      संघ के सर संघचालक  श्री मोहन राव भागवत के बयान 
''आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए'' को समाज में राजनीतिज्ञों ने संकुचित 
भावनाओं के साथ फैलाया।  आरक्षण की समीक्षा से समरसता कब होगी 
यह सोचना उचित नहीं हैं। 
                
 समरसता सत्ता प्राप्ति का मंत्र नहीं, हिन्दू जीवन पध्दति का तंत्र बने।
 समरसता सत्ता प्राप्ति का मंत्र नहीं, हिन्दू जीवन पध्दति का तंत्र बने। 

   











                    राष्ट्रव्यापी मुद्दों पर जब हम सभी भारतवासी एक हो जाते
हैं तो ऐसे में हिन्दू समाज अपने धर्म संस्कार, संस्कृति की रक्षा के लिए एक
नहीं हो सकतें ! विगत वर्षों में जब राम सेतु के मुद्दे पर संघ ने सड़कों पर 
आकर आवाज बुलंद की तों जो हिन्दू समाज सड़कों पर आया वों समरस नहीं
था! यह सोचना उचित नहीं होगा। 
                      यदि राम हम सबके आराध्य हैं तो भारत माता और जीवनदायिनी
गंगा भी हम सभी के पूज्यनीय और श्रध्दा का केंद्र हैं।
                     आओ हम सभी एक समरस हिन्दू समाज को पुनर्गठित करें !
                     एक समरस हिन्दू समाज ही सबकों साथ लेकर चलने एवं भारत माता 
को विश्व गुरु के स्थान पर पुनर्स्थापित करने में सफलता प्राप्त करेगा।  

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