الاثنين، 13 أغسطس 2018

यें जश्न कब तक..... ?

 गुलामी की यादें लेकर 
                    आज़ादी का जश्न आ गया !
भगत सिंह की शहादत भुलाकर 
                    भ्रष्टाचरियों का वक्त आ गया !!
तिलक का नारा भूल गया है , ये भारत
                   दिल में कुछ अरमान जगे  वो वक्त आ गया !
नेता अपनी जेबें भर कर चलते हैं 
                   मतदाता के पास जाने का वक्त आ गया !!
ईमान कहाँ सभी का जिन्दा हैं 
                   बेटी तेरे सामने सब शर्मिंदा हैं !
जग को कहाँ सुधरेंगे "हम" खुद ही सुधर जाएँ हम       
                    समझने और समझाने का यह वक्त आ गया !!
गंगा जमनी तहज़ीबें सब साथ चलें, शिक्षा खूब मिले यह संस्कार बने 
                    विश्व गुरु फिर से बनने का वक्त आ गया !

गुलामी की यादें लेकर 
                    आज़ादी का जश्न आ गया !!

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