स्वतन्त्र भारत में गैर कॉग्रेसी सरकारों का वर्चस्व कम ही रह पाया
है। गठबंधन सरकारों के दौर में एन.डी.ए अर्थात नेशनल डेमोक्रेटिक
है। गठबंधन सरकारों के दौर में एन.डी.ए अर्थात नेशनल डेमोक्रेटिक
अलायन्स 'जों की भारतीय जनता पार्टी की अगुआई में चलने वाला
गठबंधन है' की सरकार जो की पूर्व प्रधानमत्री श्री अटल बिहारी
वाजपेयी की नेतृत्व में बनी थी, एक सफल सरकार कही जा सकती
है। अटल जी ने संसद में रहकर कई प्रधानमंत्री देखे और सरकारें दे -
-खी। उसीका नतीजा था कि जब राष्ट्र के प्रधानमंत्री के रूप में जब
उनको अवसर मिला उन्होंने अपने सपने जनता के सामने रखे !
संयुक्त राष्ट्र संगठन में हिंदी में भाषण हो, उत्तम विदेश नीति हों
या स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से सड़कों का विस्तार कर
उन्होंने देश को सड़कों के मामलों में विश्व स्तरीय प्रतिष्ठा दिलाने
का पूर्ण प्रयास किया।
अटल जी की योजनाओं में नदियों को जोड़ने की योजना प्रमुख थी।
अटल जी जानतें थे " देश बड़ा है जहाँ कहीं नदियाँ सुखी है तो कहीं
बाढ़ जैसे हालत हो जाते है " यदि देश की नदियों को जोड़ दिया जाता
तो विकास की योजनाओं को लागू करना आसान हो जायेगा। आज
जब वैश्विक परिस्थितियों में ग्लोबल वार्मिंग एक विकराल रूप धारण
कर परेशानियाँ खड़ी कर रही है ऐसे में प्रतिवर्ष बाढ़ की समस्याओं से
जूझता भारत आज एक बार फिर से अटल जी को याद कर रहा है,
"काश अटल जी नदियों को जोड़ गयें होते !"
आधा भारत आज बाढ़ के हालातों से जूझ रहा है, तो लगता है पाँच
वर्षों तक वही सरकार फिर से बनती और नदियों के जोड़ने के स्वप्न
की दिशा में एक कदम भी आगे बढ़ा पाते तो भारत विकास की गाथा
के प्रथम अध्याय पर रहकर विश्व में अपना सम्मान कायम कर
सकता।
आज जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रूप में विकास की सरिता
प्रवाहित कर रहे हैं। ऐसे में अटल जी के इस पुनीत अभियान पर फिर
से काम करने का विचार करना चाहियें। समृध्द एवं विकसित राष्ट्र की
संकल्पना में भारत की नदियाँ महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सक-
-ती हैं। नदियाँ देश में तबाही का नहीं अपितु जीवनदायी जल - गंगा ,
यमुना, नर्मदा,रुपी धर्म एवं विकास का आधार है ! जिन्हे जोड़कर हम
सिर्फ नदियों का जल ही नहीं देश के संस्कारों को जोड़ने का प्रयास कर
सकते हैं।
सिर्फ नदियों का जल ही नहीं देश के संस्कारों को जोड़ने का प्रयास कर
सकते हैं।
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