"सकारात्मकता" कोरोना युध्द का हथियार |
सम्पूर्ण विश्व इन दिनों कोरोना वायरस की चपेट में आया हुआ हैं। COVID 19 नामक इस वायरस के जन्म दाता के रूप में विश्व के सबसे बड़ी वाले राष्ट्र चीन का नाम सभी की जुबान पर हैं। विश्व की सबसे बड़ी महामारी से लड़ने के लिए देश के "प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी" की अपील पर अभी सम्पूर्ण देश लॉक डाउन की स्थिति में घर पर हैं। आपदा से निपटने का यह वक्त प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमिका के सुचारु निर्वाहन का हैं। आपका कार्यालय, विद्यालय, फैक्ट्री, वर्कशॉप, शोरूम, दुकान, फैरी, टपरी कुछ भी हो सभी बंद हैं। देश के नागरिकों को अपनी देश भक्ति घर पर ही निभाना हैं। घर पर रहकर समय व्यतित करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता। बड़ा परिवार, बच्चे, बूढ़े और हँसी-ख़ुशी का वातावरण हो तो समय उत्तम भाव से व्यतित हो जाता हैं, परन्तु एकांत में रहकर व्यक्ति के लिए यह कालखंड बहुत सी नकारात्मकता के भाव उत्पन्न करता हैं। चूँकि मैं इस विषय पर लिख अवश्य रहा हूँ मगर नकारात्मकता क्या होती है यह अनुभव मुझे इन दिनों नहीं आया क्यूंकि जिंदगी की भागदौड़ में मैं इतना थक चूका था कि मुझे अपने लिए अपने अंदर छुपी प्रतिभा के लिए और जीवन में कुछ पढ़ कुछ लिख सकूँ इसके लिए वक्त, वातावरण और परस्थितियाँ मिल ही नहीं पा रही थी।
"सकारात्मकता" कोरोना युध्द का हथियार |
भारत सरकार ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में "रामायण" और "महाभारत" के पुराने एपिसोड प्रारम्भ करके देश को एक नई दिशा दी हैं। भारतीय संस्कृतिक इतिहास में टी.वी. के माध्यम से इन पात्रों के सजीव चित्र हमारे मानस में इतने बस गए है कि राम और सीता के रूप में यदि हम आँखे बंद करके उन्हें याद करे तो राम-सीता के चित्र में उन्हीं कलाकारों के चित्र मानस पटल पर उभरते हैं।
आज ऐसा लग रहा हैं कि पुरे देश को एनेस्थीशिया में कर दिया गया हैं। सत्ता का विरोध करने वाले मामले के गंभीरता को न समझकर इस प्रकार के वाक्य बोल रहे हैं। वे यह नहीं बताते की आखिर सरकार को इससे लाभ हैं या नुकसान।
अमेरिका में सही समय पर लॉक डाउन का कदम न उठाकर अपने पुरे देश को गर्त में या मौत के मुंह में धकेल दिया हैं। क्या हमें अपने सरकार पर गर्व नहीं होना चाहिए? आज देश में हर घर में संचार के माध्यम उपलब्ध हैं। हम अपनी ज्ञान क्षमता बढ़ाने का यह महत्वपूर्ण समय हैं। हम अपनी रूचि के काम इस समय पुरा करे जैसे - योगाभ्यास, गायन, पाककला, कविता लेखन, कहानियां/उपन्यास/लेख का लेखन या पठन आदि विषयों के साथ जिन्हे गाने सुनने फ़िल्में देखने का शौक हो और सामान्य जीवन में समय की कमी के कारण पूरा नहीं कर पाते हो लॉक डाउन के इस फुर्सत के समय में समय का सदुपयोग कर घर पर बैठकर पूरा कर सकते हैं। अब समय बदल चूका हैं।
इन दिनों Work Form Home यानि घर पर बैठकर कार्य करना भी चलन में हैं। Online services में या घर बैठकर लैपटॉप या डेस्कटॉप पर बैठकर देश-विदेश की सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। इन दिनों विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से शैक्षेणिक कार्य भी पूर्ण करवाया जा रहा हैं, इन सब बातों से एक ही बात निकलकर आती हैं कि संक्रमक रोग की जो दहशत हमारी जनता में हैं उसे दहशत न मानकर स्वेच्छिक रूप से स्वीकार करना चाहिए। सरकार का यह कदम रोग के बचाव का एक बड़ा उपाय हैं। राष्ट्रभक्तों की देश में कोई कमी नहीं हैं। हम घर में बैठकर यदि संक्रमण को बढ़ने से रोक सके तो भी इस समस्या से निजात पा सकेंगे।
आज ऐसा लग रहा हैं कि पुरे देश को एनेस्थीशिया में कर दिया गया हैं। सत्ता का विरोध करने वाले मामले के गंभीरता को न समझकर इस प्रकार के वाक्य बोल रहे हैं। वे यह नहीं बताते की आखिर सरकार को इससे लाभ हैं या नुकसान।
अमेरिका में सही समय पर लॉक डाउन का कदम न उठाकर अपने पुरे देश को गर्त में या मौत के मुंह में धकेल दिया हैं। क्या हमें अपने सरकार पर गर्व नहीं होना चाहिए? आज देश में हर घर में संचार के माध्यम उपलब्ध हैं। हम अपनी ज्ञान क्षमता बढ़ाने का यह महत्वपूर्ण समय हैं। हम अपनी रूचि के काम इस समय पुरा करे जैसे - योगाभ्यास, गायन, पाककला, कविता लेखन, कहानियां/उपन्यास/लेख का लेखन या पठन आदि विषयों के साथ जिन्हे गाने सुनने फ़िल्में देखने का शौक हो और सामान्य जीवन में समय की कमी के कारण पूरा नहीं कर पाते हो लॉक डाउन के इस फुर्सत के समय में समय का सदुपयोग कर घर पर बैठकर पूरा कर सकते हैं। अब समय बदल चूका हैं।
इन दिनों Work Form Home यानि घर पर बैठकर कार्य करना भी चलन में हैं। Online services में या घर बैठकर लैपटॉप या डेस्कटॉप पर बैठकर देश-विदेश की सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। इन दिनों विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से शैक्षेणिक कार्य भी पूर्ण करवाया जा रहा हैं, इन सब बातों से एक ही बात निकलकर आती हैं कि संक्रमक रोग की जो दहशत हमारी जनता में हैं उसे दहशत न मानकर स्वेच्छिक रूप से स्वीकार करना चाहिए। सरकार का यह कदम रोग के बचाव का एक बड़ा उपाय हैं। राष्ट्रभक्तों की देश में कोई कमी नहीं हैं। हम घर में बैठकर यदि संक्रमण को बढ़ने से रोक सके तो भी इस समस्या से निजात पा सकेंगे।
"सकारात्मकता" कोरोना युध्द का हथियार |
विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुडी एक संस्था ने अपने सर्वे में बताया के कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए लॉक डाउन की जो परिस्थिति निर्मित हुई हैं उससे अवसाद यानी डिप्रेशन के मरीज़ के संख्या में 20% का इजाफा हुआ हैं।
कई स्थानों पर शहरों में रहने वालें विद्यार्थी या नौकरी पर रहने वाले व्यक्ति या जिनके बच्चे नौकरी या अन्य कारणों से बाहर हो ऐसे बुजुर्ग अकेलापन महसूस कर रहे हैं।
हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 5 अप्रेल को रात 9 बजे 9 मिनिट तक दीपक जलाकर देश को एकत्र कर दिया। यह मनुष्य से मनुष्य को जोड़ने और देश में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करने की दिशा में बड़ा कदम हैं। मनुष्य के मन में सकारात्मक ऊर्जा के संचार से कई शारीरिक और मानसिक व्यधिया दूर हो जाती हैं। कोरोना वायरस की ही नहीं जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में सकारात्मकता ही उन्नति के शिखर की ओर ले जाती हैं।
भटक रहा था मेरा ये मन, ऊँची-नीची बातों में।
संयम रहा न मन मेरे, विपरीत हालातों में।।
ईश्वर सत्ता साथ हैं मेरे, जीवन की हर साँसों में।
मैं न डरूंगा, मैं न डिगूंगा, इन सारे झंझावातों में।।
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