الخميس، 16 أبريل 2020

कैसे लाऊँ मैं अपनी ज़िन्दगी में मिठास ?

STAYING HAPPY; Who get to decide? (Happiness Series part 1) — Steemit
कैसे लाऊँ मैं अपनी ज़िन्दगी में मिठास ?



कैसे लाऊँ मैं अपनी ज़िन्दगी में मिठास ?
कैसे निकालूं  अपने जीवन में भरी कड़वाहट ?
क्या तकलीफें मात्र मुझे ही हैं ?
क्या लोग मुझे ही बुरा मानते हैं ?

कुछ तो मुझे भी बदलना होगा, अपनी ज़िंदगी को। 
कुछ तो मेरी भी गलतियाँ होगी, जो मुझे पराजय  दिलाती हैं। 
कुछ तो मैंने भी खोया होगा अपनी जिव्हा के जहर से। 


तभी तो मन में उठते हैं सवाल ............  

कब तक सहेंगे लोग मुझे, कब बदलूँगा मैं अपनी राह ?
कब पुकारेगी सफलता मुझे, कब मिलेगा मेरी ज़िंदगी को आकार ?

वर्तमान निराशा में शायद नहीं क्योंकि ............

मैं मनुष्य हूँ जो संघर्ष में जीता है और उसी में ढूंढता हैं हंसी और मुस्कराहट। 
मैं मशीन नहीं हूँ जिसे निर्देशों से संचालित होकर चलना हैं। 
मैं जोकर भी नहीं हूँ जो खुद रोकर दुनिया को हँसाऊ। 


तभी तो मैं सोचता हूँ ............

मैं फट रहा हूँ उस दूध की तरह जिससे रसगुल्ला आकार लेता हैं। 
मैं गढ़ा जा रहा हूँ उस पत्थर की तरह जिससे एक मूर्ति का निर्माण होगा। 
मैं दौड़ रहा हूँ उस धावक की तरह जिसे एक दिन स्वर्ण पदक मिलता हैं। 

यही हैं मेरी जीवनचर्या जो कभी निराशा से आशा का मार्ग दिखलायेगी। 
वही आशा लाएगी मेरी ज़िन्दगी में मिठास।

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