दीप अब जलाएं हम। कोरोना को भगाएं हम।। |
दीप अब जलाओ तुम, पास में ना आओ तुम।
सोच अपनी उच्च शिखर, की ओर ले जाओ तुम।।
दीप अब जलाएं हम। कोरोना को भगाएं हम।। |
तुम रहो दूर, मैं ना आऊं पास।
सोशल डिस्टेंसिंग में, यही है व्यवहार।।
कोरोना से डरोना, कह रही सरकार।
घर के अंदर सज रहा, प्यार का दरबार।।
दिन गुजर रहे हैं ,रातों के जैसे।
रातों को जागे हम, भूतों के जैसे।।
क्षण प्रतिक्षण मन में, चिंता सताए।
विश्व की महामारी को, हम कैसे भगाये।।
दीप अब जलाएं हम। कोरोना को भगाएं हम।। |
सुनी है गलियां, सुने चौराहे।
बाजार में अब, सन्नाटा पसराये।।
हिम्मत ही साथ हैं, अब तो हमारी।
दुनिया डरी है , ये कैसी महामारी।।
दीप अब जलाएं हम। कोरोना को भगाएं हम।। |
चीन बन गया अब, दुनिया का दुश्मन।
मानवता पर आया हैं, कैसा यह संकट।।
गर्त में गए हैं, सेंसेक्स हमारे।
मजदूरों को हम, अब कैसे सम्हाले।।
राम जी कर दो, अब कृपा तुम्हारी।
तप रही संकट में, अब धरती हमारी।।
आओ अब, एक दिया जलाओ।
मन के अंधकार को, जल्दी भगाओ।।
दीप की ज्योत, मन में आशा जगाये।
मानव को अँधेरे से प्रकाश में लाये।।
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