योग और संघ |
अपने जीवन के बाल्यकाल से ही मुझे योग की शिक्षा मिल गई थी। खेलते-खेलते मित्रों के साथ कब संघ के स्वयंसेवक बने और कब व्यायाम के दौरान योग शिक्षा प्राप्त की पता ही नहीं चला और योग हमारे दैनिक जीवनचर्या का भाग बन गया।
विगत कुछ वर्षों से बाबा रामदेव ने योग एवं स्वदेशी को मिशन बनाकर जनता के सामने रखा तो शायद उनकी प्रस्तुति और संघ की सहजता का अंतर समझ आया। जमाना जिस दिशा में दौड़ रहा हैं उसे समझने के लिए अब सहजता के साथ व्यावसायिक समिश्रण होना आवश्यक हैं। यह योग जिसे बचपन में करते थे उन्ही में सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, तिष्ट योग के साथ विभिन्न प्रकार के व्यायाम योग में योग क्र. 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8........ के माध्यम से शरीर में ऊर्जा का संचार तो विभिन्न खेलों के माध्यम से जिसमें स्वयंसेवकों का घेरा बनाकर एक स्वयं सेवक द्वारा राम -राम बोलते हुए साँस न टूटने देने वाले खेल के माध्यम से श्वशन क्रिया पर नियंत्रण ह्रदय की शक्ति का विस्तार हो इसी प्रकार शतरंज वाले खेल के माध्यम से मस्तिष्क का विकास हमने बचपन से सीखा हैं।
योग जीवन में अनुशासन, आध्यत्म, जीवन का विस्तृत विकास एवं ऊर्जा के संचार का माध्यम हैं। बालयकाल से योग शिक्षा एक ज़माने में गुरुकुल पद्धति की शिक्षा में दी जाती थी। प्रातः काल समय पर उठना एवं दिनभर की समस्त कार्य पद्धति को एक समयबद्ध प्रक्रिया में पूर्ण करते हुए समय पर रात्रि विश्राम करने से मनुष्य का वर्तमान एवं भविष्य दोनों उज्जवल हो जाते हैं। आज की युवा पीढ़ी में आधुनिकता के साथ आध्यात्म के मार्ग का जुड़ाव सिर्फ संघ जैसे संगठनों से जुड़कर ही संभव हैं। राष्ट्र भक्ति का हिन्दू समाज की समरसता का या विपत्ति के समय मन में दया भाव उत्पन्न हो ऐसी सोच मात्र संघ जैसे विचारो से जुड़कर ही संभव हैं।
योग यानि जुड़ना, योग यानि सूरत, योग यानि सिद्धांत इन सब पर व्यक्ति को एक साथ अमल करना चाहिए। योग और संघ |
योग जीवन में अनुशासन, आध्यत्म, जीवन का विस्तृत विकास एवं ऊर्जा के संचार का माध्यम हैं। बालयकाल से योग शिक्षा एक ज़माने में गुरुकुल पद्धति की शिक्षा में दी जाती थी। प्रातः काल समय पर उठना एवं दिनभर की समस्त कार्य पद्धति को एक समयबद्ध प्रक्रिया में पूर्ण करते हुए समय पर रात्रि विश्राम करने से मनुष्य का वर्तमान एवं भविष्य दोनों उज्जवल हो जाते हैं। आज की युवा पीढ़ी में आधुनिकता के साथ आध्यात्म के मार्ग का जुड़ाव सिर्फ संघ जैसे संगठनों से जुड़कर ही संभव हैं। राष्ट्र भक्ति का हिन्दू समाज की समरसता का या विपत्ति के समय मन में दया भाव उत्पन्न हो ऐसी सोच मात्र संघ जैसे विचारो से जुड़कर ही संभव हैं।
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भारतीय जीवन मूल्यों में योग एक शिक्षा योग एक दर्शन एक जीवन पद्धति जो मानव से मानव को जोड़ने वाली हो बताया गया हैं। संघ और उसके अनुसांगिक संघठनो की स्थापना का मूल तत्व यही हैं कि व्यक्ति व्यक्ति में जगे राष्ट्र प्रेम की भावना और यही भावना देश को विश्व गुरु के स्थान पर काबिज करेगी।
योग के चार प्रकार हैं - राजयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग। समय समय पर हम इसका पूर्ण विवरण भी आपके सम्मुख रखेंगे परन्तु आज जब संघ और योग का साथ में विवरण करते हैं तो पाते हैं आज जब देश में अधिकांश लोगों के मन में संघ को लेकर यह धारणा हैं की यह भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से अपने पूर्व प्रचारक को माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में देश का प्रधानमंत्री बनाकर राजनीति करता हैं तब यह जानना भी आवश्यक हैं कि मोदी जी का सफल प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करना उनकी प्रतिदिन की जीवनचर्या उनकी बेहतरीन जीवनचर्या और नीतिगत फैसले लेते समय उनकी निर्णय क्षमता में दैनिक योग नहीं बल्कि संघ के संस्कारों का योग हैं। एक अनुशासित स्वयंसेवक के रूप में स्वामी विवेकानन्द को आराध्य मानकर जो कार्य करते हैं।
योग के चार प्रकार हैं - राजयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग। समय समय पर हम इसका पूर्ण विवरण भी आपके सम्मुख रखेंगे परन्तु आज जब संघ और योग का साथ में विवरण करते हैं तो पाते हैं आज जब देश में अधिकांश लोगों के मन में संघ को लेकर यह धारणा हैं की यह भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से अपने पूर्व प्रचारक को माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के रूप में देश का प्रधानमंत्री बनाकर राजनीति करता हैं तब यह जानना भी आवश्यक हैं कि मोदी जी का सफल प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करना उनकी प्रतिदिन की जीवनचर्या उनकी बेहतरीन जीवनचर्या और नीतिगत फैसले लेते समय उनकी निर्णय क्षमता में दैनिक योग नहीं बल्कि संघ के संस्कारों का योग हैं। एक अनुशासित स्वयंसेवक के रूप में स्वामी विवेकानन्द को आराध्य मानकर जो कार्य करते हैं।
योग और संघ |
मोदी जी स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रभावित हैं। मनुष्य के जीवन में बचपन से केंद्रित मानसिकता ही बड़ा असर करती हैं। आज देश सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित कर रहा हैं, तो उसमें लक्ष्य केंद्रित कार्य चित्त का प्रभाव विभिन्न परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता का विकास आदि कई बातें महत्वपूर्ण होती हैं।
योग करने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्नचित्त होता हैं। नियमित योगाभ्यास रोगों से लड़ने कि क्षमता में वृद्धि करता हैं। नकारात्मक विचार एवं तनाव से मुक्त रहता हैं।
संघ के स्वयंसेवक और योग के विद्यार्थी के रूप में मैं इतना ही कहूँगा मेरे जीवन में दो ही योग हैं। संघ और राष्ट्र प्रेम मैंने दोनों ही मार्ग अपनाकर जीवन को सुचारू चलाना सीखा। जीवन में किसी को भी सबकुछ हांसिल नहीं होता परन्तु बहुत कुछ प्राप्ति के लिए जीवन के मार्ग और मार्ग पर चलने वाले पथिकों के उत्तम साथ ही आवश्यकता होती हैं।
योग करने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्नचित्त होता हैं। नियमित योगाभ्यास रोगों से लड़ने कि क्षमता में वृद्धि करता हैं। नकारात्मक विचार एवं तनाव से मुक्त रहता हैं।
योग और संघ |
आज यह लिखते समय मैं गुडी पड़वा नवसंवत्सर के पावन पर्व पर सभी को शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ। आज ही के दिन संघ की स्थापना परमपूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने की थी। उन्हें आद्य सरसंघचालक प्रणाम करता हूँ। मेरे जीवन पथ को संघ मार्ग से जुड़ने का अवसर मिला तथा जीवन में विभिन्न खेलों और योगिक क्रियाओं के माध्यम से मुझे जो ज्ञान और आध्यात्म की शिक्षा मिली हैं। अवसर मिला तो राष्ट्र प्रेम और संघ के लिए न्योछावर कर दूँगा।
संघ और योग सिर्फ योग नहीं ईश्वरीय योग हैं जो मानव को ईश्वर से रूबरू करता हैं।
योग और संघ |
संस्कारों की खान हैं, जीवन का अरमान हैं।
स्वयंसेवक का जीवन तों बस अनुशासन का प्रमाण हैं।।
खेल-खेल में सीख जाते, शिक्षा, धर्म और ज्ञान हैं।
भाईचारा, त्यागी जीवन देश प्रेम बलवान हैं ।।
संघ योग का मिश्रण तो भारत देश की शान हैं।
अटल बिहारी और मोदी जी का शासन ही प्रमाण हैं।।
योग भारतीय परम्परा का एक भाग है जिसे आज सम्पूर्ण विश्व अपना रहा है। भारत मे वर्तमान में योग के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है।
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