हम राष्ट्र को गौरव प्राप्ति के मुद्दों को ही महत्त्वपूर्ण मानकर अंजाम देंगे तो भी गाँधी जी के सपनो को साकार करने में कामयाब हो जायेंगे !
आज भी हिन्दू समाज दूसरे दर्जे पर
गाँधी जी ने आज़ादी प्राप्ति के पश्चात जो बंटवार का निर्णय लिया उसमें भारत को हिन्दू समाज के लिए हिंदोस्तां नाम देकर प्रतिपादित किया था परन्तु 60 दशक बीत जाने के पश्चात् भी आज हिन्दू समाज एवं हिन्दू धर्म के प्रति निर्णयों में दूसरे दर्जे पर रखा जाता है। अम्बेडकर जी ने संविधान निर्माण के समय गाँधी जी के सपनो का ध्यान रख कर मुस्लिम समाज को अल्पसंख्यक होने के नाते बहु, पत्नी, बहुविवाह एवं अन्य कई रियायतें देकर बढ़ावा दिया। कांग्रेस को मुस्लिमों ने सदैव सुरक्षित सत्ता का केंद्र माना ! इन सम्पूर्ण निर्णयों में गाँधी जी के उसूलों की चिंता थी, परन्तु राजसत्ता प्राप्ति के पश्चात समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का चिंतन शायद न गाँधी जी दे सकें, न कांग्रेस अपने शासन में तय कर सकी।
स्वदेशी आंदोलन पिछड़ा
गाँधी जी के स्वदेशी अपनाओं आंदोलन के सन्दर्भ में प्रथम सरकार से ही हम पिछड़ने लगे थे। कहते है प्रथम प्रधानमंत्री के कपड़ों की व्यवस्था, धूम्रपान की व्यवस्था विदेशों से होती थी ! सरकार के निर्णय भी उसी दिशा में चल पड़ते है हमारे कृषक, हमारी शिक्षा, हमारी चिकित्सा और हमारा इतिहास तक अपने सही मार्ग का निर्धारण नहीं कर सका ! देश जब पीछे मुड़कर देखता है तो पता चलता है कि हम गाँधीवादी सिद्धांतो को काफी पीछे छोड़ चुके है। आज बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल उसमें बिकने वाली ब्रांडेड वस्तुएं, मेकलें की शिक्षा पद्धति हो या अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति, हमारे दैनदिन जीवन में अगर सुबह से रात तक हम गणना करे तो हम अपनी जीवन पद्धति में स्वदेशी को भूल चुके है।
स्वच्छता का सन्देश नहीं पहुंचा, अब बदलाव दिखता है
गाँधी जी ने अपने स्वयं के जीवन में सफाई को महत्पूर्ण मानकर जनता को सन्देश दिया। स्वच्छता के लिए कार्य करने वाले समाज को ईश्वर का दूत मान कर हरिजन नाम प्रदान किया परन्तु सरकार उस समाज को वोट बैंक मानकर लाभ तो देती रही परन्तु स्वच्छता को एक आंदोलन के रूप में देश के सामने रखने में कामयाब नहीं हो सकी। 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार बनने के बाद 2 अक्टूबर से स्वच्छता के लिए झाड़ू उठाकर देश को गाँधी जी के मार्ग पर चलने का सन्देश दिया। अपनी टीम में 9 स्वच्छता दूत बनाकर जन-प्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र में यह सब करने का सन्देश दिया तो देश ने इसे क्रन्तिकारी कदम मानकर सहर्ष स्वीकार किया। आज देश के अधिकांश घरों तक शौचलय की सुविधा पहुंचाने का प्रयास सरकार कर रही हैं।
शाकाहार और सादगी
गाँधी जी के विचारों में शाकाहार और सादगी भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वैसे देश में कई प्रधानमंत्री आये और देश पर राज किया परन्तु सादगी पूर्ण जीवन की मिसाल कम ही कायम कर सके। विदेश एवं ब्रांडेड का शौक़ हो या जीवन के सादगीपूर्ण व्यवहार में भी कम लोग गाँधी जी के इस सिद्धांतों को साकार कर सके। शाकाहार चूँकि एक मानवीय व्यावहारिक पहलू है परन्तु न्यायपालिका एवं कार्यपालिका ने इस व्यक्तिगत निर्णयों की श्रेणी में रखकर तरजीह नहीं दी।
चित्रों, भवनों और सड़कों तक सिमटें
महात्मा गाँधी मार्ग, एम. जी. रोड, गाँधी भवन, संग्राहलय, गाँधी वाचनालय तक सिमित रहकर गाँधी जी के विचारों को जन-जन तक नहीं पहुंचा पाई, कांग्रेस अब दुःखी है। स्वच्छता एक बड़े आंदोलन के रूप में विकास की नई गाथा लिख रहा है। राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ को गाँधी का हत्यारा संगठन बताकर अपनी राह तों आसान की परन्तु गाँधी जी के सिद्धांतों को तरजीह नहीं मिल पाई
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नमन
विचारों की अब गाथा नए स्वरूप में लिखी जा रही है। आज गाँधी जी की 150 वीं जयंती पर राष्ट्र उनको नमन कर रहा है, आओ संकल्प ले !
स्वदेशी अपनाये !
अहिंसा के पथ को स्वीकार करे !
सत्य का अनुसरण करे !
सादगी का जीवन जियें !
परन्तु अब देश का बंटवारा न हो ! इसका भी संकल्प करे।
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पढ़ते रहे प्रवीण भाई की कलम से
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